बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

अगर सूरज ना होता "Agar Suraj nahi hota to"


Health World

  1. ये कविता पर्यावरण और हमारे बीच लिखी गई है। हमें पेड़ों की रक्षा करना और हरित क्रांति का बढ़ावा देना है।







अगर सूरज ना होता तो,
      सारा जग अंधकार मे होता

अगर सूरज ना होता तो,
      ये दिन-रात कैसे होता

अगर सूरज ना तो,
       पौधे भोजन कैसे बनाते

अगर सूरज ना होता तो,
        प्रकाश-शंश्लेषन कैसे होता

 अगर प्रकाश-शंश्लेषन ना होता तो,
          ऑक्सीजन कहां से मिलता

अगर ऑक्सीजन ना मिलता तो,
            हम साँस कहां (कैसे)से लेते

अगर साँस ना लेते तो,
            हम साँस बिना मर जाते

अगर हम साँस बिना मर जाते तो,
             अस्तित्व हमारा ना होता

अगर अस्तित्व हमारा ना होता तो,
              संसार की कल्पना कैसे होता

अगर सूरज ना होता तो,
               जल-चक्र कैसे चलता

अगर जल-चक्र ना चलता तो,
                 मेघपुष्प कैसे होता

अगर मेघपुष्प ना होता  तो,
                  ये पौधे भोजन कैसे बनाते

अगर पौधे भोजन ना बनाते तो,
                  हमें भोजन कहां से मिलता

अगर भोजन ना मिलता तो,
                 हम भूखे मर जाते

अगर पौधे ना होता तो,
                ये जीवन हमारा ना होता

अगर जीवन हमारा ना होता तो,
                   संसार की कल्पना कैसे होता

अगर संसार की कल्पना ना होता तो,
                   हम कहां से होते हमारा अस्तित्व ना होता



शब्दावली

सूरज = सूर्य ( Sun)

जग = संसार (World )

पौधे = Plants

अंधकार = Darkness

भोजन = खाना (Food)

ना = नहीं (Not)

अस्तित्व = (Existence)

कल्पना = (Assumption)

जल-चक्र = (water cycle)

मेघपूष्प = वर्षा  (Rain)

जीवन = Life

वृक्षों की रक्षा जीवन की रक्षा

(Save tree save life)



            ये कविता पढ़ने के लिए धन्यवाद!

हमारी कविता कैसी लगीं हमें बताए, और अपने दोस्तों को शेयर करना न भूले।

    इस कविता के लिए आप अपना सुझाव हमें बताएँ।

      आपका दोस्त
विनय कुमार
V

ये कविता पर्यावरण और हमारे बीच लिखी गई है। हमें पेड़ों की रक्षा करना और हरित क्रांति का बढ़ावा देना है।






अगर सूरज ना होता तो,
      सारा जग अंधकार मे होता

अगर सूरज ना होता तो,
      ये दिन-रात कैसे होता

अगर सूरज ना तो,
       पौधे भोजन कैसे बनाते

अगर सूरज ना होता तो,
        प्रकाश-शंश्लेषन कैसे होता

 अगर प्रकाश-शंश्लेषन ना होता तो,
          ऑक्सीजन कहां से मिलता

अगर ऑक्सीजन ना मिलता तो,
            हम साँस कहां (कैसे)से लेते

अगर साँस ना लेते तो,
            हम साँस बिना मर जाते

अगर हम साँस बिना मर जाते तो,
             अस्तित्व हमारा ना होता

अगर अस्तित्व हमारा ना होता तो,
              संसार की कल्पना कैसे होता

अगर सूरज ना होता तो,
               जल-चक्र कैसे चलता

अगर जल-चक्र ना चलता तो,
                 मेघपुष्प कैसे होता

अगर मेघपुष्प ना होता तो,
                  ये पौधे भोजन कैसे बनाते

अगर पौधे भोजन ना बनाते तो,
                  हमें भोजन कहां से मिलता

अगर भोजन ना मिलता तो,
                 हम भूखे मर जाते

अगर पौधे ना होता तो,
                ये जीवन हमारा ना होता

अगर जीवन हमारा ना होता तो,
                   संसार की कल्पना कैसे होता

अगर संसार की कल्पना ना होता तो,
                   हम कहां से होते हमारा अस्तित्व ना होता


शब्दावली

सूरज = सूर्य ( Sun)

जग = संसार (World )

पौधे = Plants

अंधकार = Darkness

भोजन = खाना (Food)

ना = नहीं (Not)

अस्तित्व = (Existence)

कल्पना = (Assumption)

जल-चक्र = (water cycle)

मेघपूष्प = वर्षा  (Rain)

जीवन = Life

वृक्षों की रक्षा जीवन की रक्षा

(Save tree save life)



            ये कविता पढ़ने के लिए धन्यवाद!

हमारी कविता कैसी लगीं हमें बताए, और अपने दोस्तों को शेयर करना न भूले।

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      आपका दोस्त
विनय कुमार

vinaykumar



शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

रोशन के प्रेम कहानी Roshan ke prem kahani "The love story of Roshan"

ये कहानी सत्य हैं, हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा किसी के साथ न हो।

एक शिक्षक था,जिसका नाम था मनीष  उससे  ही मै नौवीं कक्षा मे पढ़ रहा था।उससे ही एक  लड़की दसवीं कक्षा मे पढ़ने आई जिसकी नाम हैं " अनिता "पढ़ते पढते उसे उस शिक्षक से प्यार हो गई ।उसके बाद वह उसके साथ वह किया जो शादी के बाद किया जाता है।वैसे आप बहुत समझदार है समझ ही गये होगें कि उसके साथ क्या-क्या  किया होगा ।उस लड़की के पड़ोस मे एक लड़का  था उसका नाम था रोशन। वह भी उससे  दिल लगाना चाहता था, लेकिन वह हाथ मे नही आ रही थी, रोशन  का जो दोस्त था वह उस  लड़की के चाचा के दोस्त था उनका नाम था राजू ।वह लड़कीयों के मामले मे कमाल था। उस पर बहुत सारी लड़की उसके दीवानी थी। राजू ने ही उसे लड़की पटाने की आईडीया दी और उसने उसके द्वारा उसके चाचा से दोस्ती की उसके वाद वह उस लड़की को पटाया और वह पट गई।उस लड़की के चाचा का नाम था आकाश  वह अच्छा था वह अपनी भतीजी से छोटा था।अब वह दोनों से इश्क लड़ाने लगी तो, वह लड़का रोशन  था जो उस पहली प्रेमी को अपनी रास्ते से हटाने लगा, लेकिन वह उसकी दोस्ती नही तोड़ सका। बाद  मे वह दिल्ली काम करने चला गया और उसने अपने चचेरे भतीजे को कहा तुम इस पर ध्यान रखना।उसका नाम था वासू।वह उस लड़की से उम्र मे छोट था लेकिन देखने मे मोट था। (वह लड़का उससे छोट था तो इससे आप ये न समझें कि वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकी उसका भी जनन अंग पूर्ण विकसित था।वह भी वह कर सकता था।वह भी सेक्स कर सकता था। कर सकता था ही नही वह करना चाहने भी आखिर वह उसकी पीछा करता था तो मन मे सेक्स की बात अवश्य आएगा। पीछा करते-करते वासू को भी उस लड़की अनिता से दोस्ती हो गई होना भी अवश्य था क्योंकि वह उसकी खयाल रखता था । और वह उसे अपने साथ कॉलेज ले जाती थी। फिर उन दोनों की बंजर दिलों मे प्यार के फूल खिलने लगी और बात सेक्स तक पहुँच गई, लेकिन रोशन को उसने कुछ नही बताया तो उस बेचारे प्रेमी रोशन को क्या पता कि उसकी प्रेमिका किसी और के साथ सेक्स कर रही है।वासू के चचेरे भाई था जिसका नाम था जय। जय सब कुछ जानता था वह अपने भाई को उसकी पीछा करने से भी मना किया लेकिन वह न मना मामला बिस्तर तक पहुँच गई ।
एक दिन वह करीब 01:00 बजे रात को उसके घर (अनिता के घर मे) मे घुस गया और रोमांस करने लगा और सेक्स करने वाला ही था कि किसी ने अनिता को पुकारा तो बेचारे डर के मारे पलंग के भीतर घुस गया अनिता और उसके बहन सुनीता जो पहरे दे रही थी दोनों ने अपने बाप को बातों मे फसाया बेचारा वासू जान लेकर भागा जैसे कोई जान ले लेगा वैसे पकड़े जाने पर कुछ भी हो सकता हाथ और पैरों को भी तोड़ा जा सकता था।वह इतना तेज भागा की वह नाला मे पैर परा और गिर पडा जल्द ही संभल उठा और फिर भागा सुबह हुआ तो बेजारे वासू को दवाई लेनी पड़ी अच्छा कोई बात नही इतना तो प्यार मे होते रहता है। इससे बड़ी-बड़ी मुश्किले आती है।ये तो कुछ नही कितने प्रेमी को तो जान से हाथ धोने पड़े और मौत को गले लगाने पड़े खैर छोड़ीए आगे पढ़ते है।) वह लड़का (वासू) उस पर ध्यान रखने लगा,और उसकी हर खबर देने लगा।और वह उससे भी फोन से बात किया करता था। कुछ दिन के बाद वह(रोशन ) दिल्ली से आया। और वह अपने दोस्त(राजू) और उस लड़की के चाचा (आकाश) के साथ घूमने लगा।एक दिन वह लड़का (आकाश) उस लड़की (अनिता जो अब तीन-तीन आशिक रखी हुई है। अभी तक आकाश को पता नही है कि वह लड़की उसके भतीजा (वासू के साथ सेक्स करती है) उसको उसके (मनीष)साथ उसे कहीं जाते देखा उस समय वह उसे कुछ नहीं कहा। दो या तीन दिन बाद वह शिक्षक (मनीष) उस लड़का(रोशन) को मिले,तो उसने कहा उस लड़की(अनिता) को छोड़ दो,तो उसने (मनीष) उस लड़की को गाली दी और कहा कि हम उस वेश्य के पीछे नहीं हैं, हमारे पीछे वो हैं।इतना सुना ही कि उस  लड़के (रोशन) ने और उस लड़की के चाचा (आकाश) ने उसे पिटना शुरू कर दिया और इतना पीटा कि बेचारे को दांत मुँह सब बराबर कर दिया, वह कई दिनों तक सर्म से घर से बाहर नही निकला। और वह उस दिन से वह उस लड़की के नाम लेना भी भूल गया। इसके घटना बारे मे उस लड़की ने सुना तो उसके दिल को काफी ठेस पहुँची और वह अंदर से टूट गई और वह फुट-फुट कर रोने लगी। वह (रोशन) लड़के ने उसके पहले प्रेमी (मनीष)को पीटा तो उसकी दोस्ती उस लड़के (रोशन से क्योंकि रोशन और मनीष पहले से दोस्त था जो एक लड़की के कारण दुश्मनी मे बदल गई वाह लड़की क्या चीज़ होतीं है जो दोस्ती को दुश्मनी मे बदल देती है।)से टुट गई।फिर वह उसे (अनिता) मनाने कि कोशिश कि पर मना न सका, वह (रोशन) फिर दिल्ली चल गया । और वह अपने भतीजा को कहा कि तुम इसको ध्यान रखना। लेकिन अब भी वह नही जानता था कि अभी एक काँटे को हटाया कि दूसरी उससे पहले तैयार है।
वह (रोशन) उसे (वासू) अपना मानते थे, लेकिन वह भी उसके  भरोसे को खून कर दिया ।
    वह कॉलेज गई तो अपने साथ  वासू को ले गई ।और कॉलेज मे नामांकन करवाकर लौटे तो दोनों ने एक डिजिटल  स्टूडियो  मे गया और साथ होकर
कई तरीकों से फोटोग्राफ बनवाए जैसे पतली कमर पर हाथ रखकर कंधे पर रखकर और कई तरीकों से फोटो बनवाई, और हँसी-मजाक करते घर आई।
धीरे-धीरे वो दोनों एक दूसरे के करीब आ गई।और दोनों मे प्यार भरी बातें होने लगीं । होना भी जरूर था क्योंकि वो उसकी खयाल जो रखता था ।जब दोनों मे प्यार हो गया तो वासू ने उसकी खबरें रोशन को देना बंद कर दी क्योंकि अब अनिता वासू से प्यार करने लगी थी। क्योंकि मनीष और रोशन मे झगड़े जो गई ।
              कुछ दिन बाद वह दिल्ली से आया तो रोशन को वासू पर संदेह करता था। वह भी अनिता को चाहने लगा था ,इसलिए वह मनीष से बात भी अच्छा से धीरे -धीरे उसके संदेह विश्वास मे बदलने लगा। और वह वासू और अनिता दोनों पर नजर रखने लगा।
            एक दिन कि बात है, वह उसी गली से जा रहा था। जिस गली मे रोशन की प्रेमिका का घर था। उसके नजर खिड़की के भीतर पड़ी जहाँ वासू और अनिता रोमांस कर रहे थे। यह दृश्य देखकर रोशन को खून खौल उठा और कहा साले जिस थाली मे खाया उसी मे छेद कर डाला और उसने दोनों को एक  चाटा मारा और वासू पर टूट पड़ा जैसे वह उसके जान ले ये सब सुनकर बहुत सारे लोगों की भीड़ लग गई ।और सभी ने वासू को बचा लिया ।
            रोशन को भी शान्त करने की कोशिश करता लेकिन वह गुस्से मे पागल हो चुका था। वह हर समय कुछ न कुछ सोचते रहता कभी बोलता उससे जबर्दस्ती शादी कर लेंगे तो कभी उसको हम चैन से रहने नहीं देंगे तो कभी हम उसे किसी और नहीं होने देंगे बिल्कुल सन्नी देओल के फिल्म जीत की तरह। वह अपने प्रेमिका को लाख मनाने की कोशिश करता लेकिन वह मना न सका तो वह पागलों की तरह बात करने लगा और कहता कि हम उसे नहीं छोडेगे  हम उसे बर्बाद कर देंगे , तो कहता हम ब्लैकमेल कर देंगे ।
          ये सब देख गाँव के बुजुर्गों ने उसकी शादी करवाया । जब रोशन वहाँ नहीं था दिल्ली चला गया था। शादी की खबर सुन दोनों को दुख हुआ ।लेकिन बेचारा करता क्या एक वासू था जो कमजोर , दूसरे रोशन था जो प्रदेश और  तीसरे मनीष था जो डरपोक वह डर से अनिता को पहले ही भूल गया । वासू जो कमजोर था वह बच्चे होने के कारण। और मनीष था जो दिल्ली था।
              उस लड़की अनिता की शादी 2012 मे हुई
              मनीष की शादी   2014 मे हुई
               रोशन की शादी   इस साल 2015 मे हुई। अब रोशन शान्त है किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। अब रोशन और वासू मे दोस्ती हो गई लेकिन मनीष से अभी तक नहीं हुई । मनीष और वासू की होना ही था क्योंकि अपने तो अपने ही होते है। वासू रोशन के भतीजा ही तो था।
             यह कहानी कैसी लगी आप हमें बताएँ  और        अच्छी लगी तो दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले हमें विश्वास है की ये कहानी आपको अवश्य पसंद आएगी।एक शिक्षक था,जिसका नाम था मनीष  उससे  ही मै नौवीं कक्षा मे पढ़ रहा था।उससे ही एक  लड़की दसवीं कक्षा मे पढ़ने आई जिसकी नाम हैं " अनिता "पढ़ते पढते उसे उस शिक्षक से प्यार हो गई ।उसके बाद वह उसके साथ वह किया जो शादी के बाद किया जाता है।वैसे आप बहुत समझदार है समझ ही गये होगें कि उसके साथ क्या-क्या  किया होगा ।उस लड़की के पड़ोस मे एक लड़का  था उसका नाम था रोशन। वह भी उससे  दिल लगाना चाहता था, लेकिन वह हाथ मे नही आ रही थी, रोशन  का जो दोस्त था वह उस  लड़की के चाचा के दोस्त था उनका नाम था राजू ।वह लड़कीयों के मामले मे कमाल था। उस पर बहुत सारी लड़की उसके दीवानी थी। राजू ने ही उसे लड़की पटाने की आईडीया दी और उसने उसके द्वारा उसके चाचा से दोस्ती की उसके वाद वह उस लड़की को पटाया और वह पट गई।उस लड़की के चाचा का नाम था आकाश  वह अच्छा था वह अपनी भतीजी से छोटा था।अब वह दोनों से इश्क लड़ाने लगी तो, वह लड़का रोशन  था जो उस पहली प्रेमी को अपनी रास्ते से हटाने लगा, लेकिन वह उसकी दोस्ती नही तोड़ सका। बाद  मे वह दिल्ली काम करने चला गया और उसने अपने चचेरे भतीजे को कहा तुम इस पर ध्यान रखना।उसका नाम था वासू।वह उस लड़की से उम्र मे छोट था लेकिन देखने मे मोट था। (वह लड़का उससे छोट था तो इससे आप ये न समझें कि वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकी उसका भी जनन अंग पूर्ण विकसित था।वह भी वह कर सकता था।वह भी सेक्स कर सकता था। कर सकता था ही नही वह करना चाहने भी आखिर वह उसकी पीछा करता था तो मन मे सेक्स की बात अवश्य आएगा। पीछा करते-करते वासू को भी उस लड़की अनिता से दोस्ती हो गई होना भी अवश्य था क्योंकि वह उसकी खयाल रखता था । और वह उसे अपने साथ कॉलेज ले जाती थी। फिर उन दोनों की बंजर दिलों मे प्यार के फूल खिलने लगी और बात सेक्स तक पहुँच गई, लेकिन रोशन को उसने कुछ नही बताया तो उस बेचारे प्रेमी रोशन को क्या पता कि उसकी प्रेमिका किसी और के साथ सेक्स कर रही है।वासू के चचेरे भाई था जिसका नाम था जय। जय सब कुछ जानता था वह अपने भाई को उसकी पीछा करने से भी मना किया लेकिन वह न मना मामला बिस्तर तक पहुँच गई ।
एक दिन वह करीब 01:00 बजे रात को उसके घर (अनिता के घर मे) मे घुस गया और रोमांस करने लगा और सेक्स करने वाला ही था कि किसी ने अनिता को पुकारा तो बेचारे डर के मारे पलंग के भीतर घुस गया अनिता और उसके बहन सुनीता जो पहरे दे रही थी दोनों ने अपने बाप को बातों मे फसाया बेचारा वासू जान लेकर भागा जैसे कोई जान ले लेगा वैसे पकड़े जाने पर कुछ भी हो सकता हाथ और पैरों को भी तोड़ा जा सकता था।वह इतना तेज भागा की वह नाला मे पैर परा और गिर पडा जल्द ही संभल उठा और फिर भागा सुबह हुआ तो बेजारे वासू को दवाई लेनी पड़ी अच्छा कोई बात नही इतना तो प्यार मे होते रहता है। इससे बड़ी-बड़ी मुश्किले आती है।ये तो कुछ नही कितने प्रेमी को तो जान से हाथ धोने पड़े और मौत को गले लगाने पड़े खैर छोड़ीए आगे पढ़ते है।) वह लड़का (वासू) उस पर ध्यान रखने लगा,और उसकी हर खबर देने लगा।और वह उससे भी फोन से बात किया करता था। कुछ दिन के बाद वह(रोशन ) दिल्ली से आया। और वह अपने दोस्त(राजू) और उस लड़की के चाचा (आकाश) के साथ घूमने लगा।एक दिन वह लड़का (आकाश) उस लड़की (अनिता जो अब तीन-तीन आशिक रखी हुई है। अभी तक आकाश को पता नही है कि वह लड़की उसके भतीजा (वासू के साथ सेक्स करती है) उसको उसके (मनीष)साथ उसे कहीं जाते देखा उस समय वह उसे कुछ नहीं कहा। दो या तीन दिन बाद वह शिक्षक (मनीष) उस लड़का(रोशन) को मिले,तो उसने कहा उस लड़की(अनिता) को छोड़ दो,तो उसने (मनीष) उस लड़की को गाली दी और कहा कि हम उस वेश्य के पीछे नहीं हैं, हमारे पीछे वो हैं।इतना सुना ही कि उस  लड़के (रोशन) ने और उस लड़की के चाचा (आकाश) ने उसे पिटना शुरू कर दिया और इतना पीटा कि बेचारे को दांत मुँह सब बराबर कर दिया, वह कई दिनों तक सर्म से घर से बाहर नही निकला। और वह उस दिन से वह उस लड़की के नाम लेना भी भूल गया। इसके घटना बारे मे उस लड़की ने सुना तो उसके दिल को काफी ठेस पहुँची और वह अंदर से टूट गई और वह फुट-फुट कर रोने लगी। वह (रोशन) लड़के ने उसके पहले प्रेमी (मनीष)को पीटा तो उसकी दोस्ती उस लड़के (रोशन से क्योंकि रोशन और मनीष पहले से दोस्त था जो एक लड़की के कारण दुश्मनी मे बदल गई वाह लड़की क्या चीज़ होतीं है जो दोस्ती को दुश्मनी मे बदल देती है।)से टुट गई।फिर वह उसे (अनिता) मनाने कि कोशिश कि पर मना न सका, वह (रोशन) फिर दिल्ली चल गया । और वह अपने भतीजा को कहा कि तुम इसको ध्यान रखना। लेकिन अब भी वह नही जानता था कि अभी एक काँटे को हटाया कि दूसरी उससे पहले तैयार है।
वह (रोशन) उसे (वासू) अपना मानते थे, लेकिन वह भी उसके  भरोसे को खून कर दिया ।
    वह कॉलेज गई तो अपने साथ  वासू को ले गई ।और कॉलेज मे नामांकन करवाकर लौटे तो दोनों ने एक डिजिटल  स्टूडियो  मे गया और साथ होकर
कई तरीकों से फोटोग्राफ बनवाए जैसे पतली कमर पर हाथ रखकर कंधे पर रखकर और कई तरीकों से फोटो बनवाई, और हँसी-मजाक करते घर आई।
धीरे-धीरे वो दोनों एक दूसरे के करीब आ गई।और दोनों मे प्यार भरी बातें होने लगीं । होना भी जरूर था क्योंकि वो उसकी खयाल जो रखता था ।जब दोनों मे प्यार हो गया तो वासू ने उसकी खबरें रोशन को देना बंद कर दी क्योंकि अब अनिता वासू से प्यार करने लगी थी। क्योंकि मनीष और रोशन मे झगड़े जो गई ।
              कुछ दिन बाद वह दिल्ली से आया तो रोशन को वासू पर संदेह करता था। वह भी अनिता को चाहने लगा था ,इसलिए वह मनीष से बात भी अच्छा से धीरे -धीरे उसके संदेह विश्वास मे बदलने लगा। और वह वासू और अनिता दोनों पर नजर रखने लगा।
            एक दिन कि बात है, वह उसी गली से जा रहा था। जिस गली मे रोशन की प्रेमिका का घर था। उसके नजर खिड़की के भीतर पड़ी जहाँ वासू और अनिता रोमांस कर रहे थे। यह दृश्य देखकर रोशन को खून खौल उठा और कहा साले जिस थाली मे खाया उसी मे छेद कर डाला और उसने दोनों को एक  चाटा मारा और वासू पर टूट पड़ा जैसे वह उसके जान ले ये सब सुनकर बहुत सारे लोगों की भीड़ लग गई ।और सभी ने वासू को बचा लिया ।
            रोशन को भी शान्त करने की कोशिश करता लेकिन वह गुस्से मे पागल हो चुका था। वह हर समय कुछ न कुछ सोचते रहता कभी बोलता उससे जबर्दस्ती शादी कर लेंगे तो कभी उसको हम चैन से रहने नहीं देंगे तो कभी हम उसे किसी और नहीं होने देंगे बिल्कुल सन्नी देओल के फिल्म जीत की तरह। वह अपने प्रेमिका को लाख मनाने की कोशिश करता लेकिन वह मना न सका तो वह पागलों की तरह बात करने लगा और कहता कि हम उसे नहीं छोडेगे  हम उसे बर्बाद कर देंगे , तो कहता हम ब्लैकमेल कर देंगे ।
          ये सब देख गाँव के बुजुर्गों ने उसकी शादी करवाया । जब रोशन वहाँ नहीं था दिल्ली चला गया था। शादी की खबर सुन दोनों को दुख हुआ ।लेकिन बेचारा करता क्या एक वासू था जो कमजोर , दूसरे रोशन था जो प्रदेश और  तीसरे मनीष था जो डरपोक वह डर से अनिता को पहले ही भूल गया । वासू जो कमजोर था वह बच्चे होने के कारण। और मनीष था जो दिल्ली था।
              उस लड़की अनिता की शादी 2012 मे हुई
              मनीष की शादी   2014 मे हुई
               रोशन की शादी   इस साल 2015 मे हुई। अब रोशन शान्त है किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। अब रोशन और वासू मे दोस्ती हो गई लेकिन मनीष से अभी तक नहीं हुई । मनीष और वासू की होना ही था क्योंकि अपने तो अपने ही होते है। वासू रोशन के भतीजा ही तो था।
             यह कहानी कैसी लगी आप हमें बताएँ  और        अच्छी लगी तो दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले हमें विश्वास है की ये कहानी आपको अवश्य पसंद आएगी।vinay. kumar

रविवार, 4 अक्तूबर 2015

मनीष के प्रेम कहानी "Manish ke prem kahani " "মনীষ কে পর্ম কহানী" The love story of Manish (The real love story )


एक शिक्षक था,जिसका नाम था मनीष  उससे  ही मै नौवीं कक्षा मे पढ़ रहा था।उससे ही एक  लड़की दसवीं कक्षा मे पढ़ने आई पढ़ते उसे उस शिक्षक से प्यार हो गई ।उसके बाद वह उससे वह किया जो शादी के बाद किया जाता है।वैसे आप बहुत समझदार है समझ ही गये होगें कि उसके साथ क्या-क्या  किया होगा ।उस लड़की के पड़ोस मे एक लड़का  था उसका नाम भी मनीष ही था वह भी उससे  दिल लगाना चाहता था, लेकिन वह हाथ मे नही आ रही थी, मनीष  के जो दोस्त था वह उस  लड़की के चाचा के दोस्त था। उसके द्वारा उसके चाचा से दोस्ती की उसके वाद वह उस लड़की को पटाया और वह पट गई।अब वह दोनों से इश्क लड़ाने लगी तो, वह लड़का मनीष था जो उस पहली प्रेमी को हटाने लगा, लेकिन वह उसकी दोस्ती नही तोड़ सका। बाद  मे वह दिल्ली काम करने चला गया और उसने अपने चचेरे भतीजे को कहा तुम इस पर ध्यान रखना। वह लड़का उस पर ध्यान रखने लगा,और उसकी हर खबर देने लगा।और वह उससे भी फोन से बात किया करता था। कुछ दिन के बाद वह दिल्ली से आया। और वह अपने दोस्त और उस लड़की के चाचा के साथ घूमने लगा।एक दिन वह लड़का उस लड़की को उसके साथ उसे कहीं जाते देखा उस समय वह उसे कुछ नहीं कहा। दो या तीन दिन बाद वह शिक्षक उस लड़का को मिले,तो उसने कहा उस लड़की को छोड़ दो,तो उसने उस लड़की को गाली दी और कहा कि हम उस वेश्य के पीछे नहीं हैं, हमारे पीछे हैं।इतना सुना ही कि उस लड़के ने और उस लड़की के चाचा ने उसे पिटना शुरू कर दिया बेचारे को दांत मुँह सब बराबर कर दिया। इसके बारे मे उस लड़की ने सुना कि वह लड़के ने उसके पहले प्रेमी को पीटा तो उसकी दोस्ती उस लड़के से टुट गई।फिर वह उसे मनाने कि कोशिश कि पर मना न सका, वह फिर दिल्ली चल गया । और वह अपने भतीजा को कहा कि तुम इसको ध्यान रखना । और वह उसके बारे मे हमेशा पूछते रहता था। वह लड़की अब उस शिक्षक के साथ भी न जाने लगीं। जब वह कॉलेज मे नामांकन कराई तो वह लड़की उस लड़के के साथ कॉलेज जाती थी। बाद मे उस लड़की को उस लड़के से प्यार हो गई ।बाद मे उस लड़के को पता चला तो वह पागल हो गया सोचने लगा कि वह मेरे भतीजे होकर मुझे ही धोखा देने लगा।फिर वह अपने भतीजे को समझाने लगा कि तुम इसे छोड़ दो। लेकिन वह उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।छोड़ता कैसे भला कोई प्रेमी अपना प्रेमिका को छोड़ सकता है, कोई शराबी शराब को छोड़ सकता है, कोई स्त्री अपने पति को छोड़ सकता है, कोई जुआरी जुआ खेलना छोड़ सकता हैं नहीं। तो वह लड़का उसे कैसे छोड़ सकता था। वह लड़का (मनीष ) उसके प्यार मे पुरा पागल था वह उससे शादी भी करना चाहता था।
बाद में उस लड़की को शादी हो गई सब झगड़ा ही खत्म हो गया। इस साल उस लड़के को भी शादी के बंधन से बाँध दिया गया।
         अब सभी लोग अच्छे से रहते है।
अब पढ़ें रोशन के प्रेम कहानी 



Vinay Kumar Roy

विनय कुमार राय

વિનય કુમાર રાય
 Comments please
आप लोगों को यह कहानी कैसी लगीं आप हमें जरूर बताएँ और अपने दोस्तों को जरूर शेयर करे यह सत्य कहानी है, इसमें किसी प्रकार की झूठ नही हैं ।
         आप कामेंट और शेयर करें । हमें आपकी Comments का इंतज़ार है?
 आपके दोस्त
         विनय कुमार

सोमवार, 24 अगस्त 2015

शायरी

          आओ वादा करते है रखकर हाथों पर हाथ।
और मिलकर कसम खाते है, ना छुटे एक दुसरे के साथ।।

          दूर से सुनाई देती है तेरी गीत दिल चाहता है झूम लुँ।
और पास आती हो तो, दिल चाहता है इन होंठो को चुम लूँ।।

          तुम्हें तो लड़कों पटाना शौक  हैं।
 तुम्हें क्या पता ईश्क क्या होती हैं ।
          आती है, तेरी याद तो दिल ये रोती है।।
   
          क्या है मेरे दिल मे जो इन आँखों से जानो।
 क्या तुम मुझे भूल गई मैं वही आशिक हूँ पहचानो।।

          क्यों आँखें
छुपाती हो आँखें मिलाओ।
 क्यों मुझे तरपाती हो मुझेसे दिल लगाओ।।

            बरसात के पानी ने नदियों मे बाढ़ लाया।
तेरी जवानी ने मेरे दिल मे तूफान लाया।।

            तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  तुझसे कुछ कहनी है, वाते खास।
तेरी होठो को चुमनी है, आओ मेरे पास।।
       
       मेरे मेहबूब को देख जमाने ने कहा वो कौन है।
 मैंने उसे कहा वो मेरे दिल की रिंग टोन(दिल की धड़कन) है।।

           तुझे देखें बिना आँखे तरसती है।
 तेरी दिदार के बिना दिल तरपती है।।

                  सर्दी के मौसम मे मुझे अकेले छोड़कर क्या तुझे मेरी याद आती हैं ।

लगती है कड़ाके की सर्दी क्या तुझे मेरी  याद आती है।।