सोमवार, 23 अक्तूबर 2017

शिक्षा का ह्रास " Degradation of education" (Shiksha Ka hrash)

             हमें यह सुनकर दुख हो रहा है कि जो विश्व गुरु हैं, जो विश्व को सत्य का मार्ग दिखाया, सत्य का ज्ञान दिया, जो विश्व को शान्ति का संदेश दिया, जो संपूर्ण विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाया। वहां अब शिक्षा का ह्रास हो रहा हैं। जहाँ देश विदेश के लोगों शिक्षा ग्रहण करने आते थे, वहां के शिक्षार्थी को शिक्षा के लिए पलायन करना पर रहा है।
       राजनेता भी देख रहे है कि शिक्षा का ह्रास हो रहा है। वह शिक्षा को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं, शिक्षा बचाओ रैली कर रहे है। कौन शिक्षा बचाएगें?
       शिक्षा को हम सभी मिलकर बचाना होगा, साथ मिलकर काम कर, न कि राजनीति कर।
लेकिन यह सुनकर मुझे दुख होता है कि हमारे देश में शिक्षा, सैनिक पर भी राजनीति हो रहे हैं। शिक्षा को बचाने के लिए सरकार को चाहिए कि सभी विद्यालयों, उच्चविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों की रिक्तियां पूर्ण हो तथा विद्यार्थियों कि नियमितता हो। जिस विद्यार्थी का उपस्थित 75 प्रतिशत से कम हो उसे परीक्षा में शामिल होने कि अनुमति न मिले, उनका नामांकन रद्द कर दिया जाए। फिर देखें विद्यार्थियों की उपस्थिति की संख्या बढ़ जाती है। एक डिजिटल शिकायत केंद्र भी होना चाहिए। यदि विद्यार्थी विद्यालय गया और उन्हें ठीक से नहीं गाईड किया जा रहा हो, तो उनका शिकायत केन्द्र में शिकायत किया जाए तथा उन पर तत्काल कार्रवाई किया जाये।
          सरकार को चहीए कि योग्य योग्य शिक्षकों कि नियुक्ति करें, न कि शिक्षामित्र वाले शिक्षकों की। "शिक्षामित्र" जिसका अर्थ होता है शिक्षा का मित्र अर्थात शिक्षा के बढ़ावा देने वाला। लेकिन ये शिक्षा मित्र शिक्षा के मित्र न होकर शिक्षा के शत्रु हैं। ये तो केवल सरकार के मित्र हैं जो सरकार के पैसे बचाते हैं और भ्रष्टाचार को आगे बढ़ाते हैं। सरकार जनता के आंखों मे धुल झोंक रहे है और शिक्षा का विनाश कर रहे है।ये शिक्षक ऐसे होते जिन्हें शिक्षा का Basic ज्ञान भी नहीं होते है। ये क्या शिक्षा को आगे बढाएगें ये तो केवल भ्रष्टाचार को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे और  सरकार को जेब भरने में मदद करेंगे, जेब का size भी अनंत है, ये नही भरेंगे।
  ये शिक्षा मित्र वाले जो शिक्षक है, जो केवल सरकार को भ्रष्टाचार बढ़ाने मदद नहीं करते हैं बल्कि ये ग्राम पंचायतों के मुखिया को भी मदद करते हैं क्योंकि ये उनके खास मित्र होते हैं या तो उन्हें रिश्वत देकर बहाल होते हैं।
   सरकार को चाहिए कि योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करें और शिक्षा के क्षेत्र में सख्त निर्णय ले। उन्हें Election में नहीं भेजा जाए, उनसे जनगणना नहीं कराया जाए। यदि जनगणना करना हो, Election करना हो, तो हमारे देश में सरकार के कृपा से बहुत सारे युवा बेरोजगार हैं, उन्हें नियुक्त कर दिया जाए। लेकिन सरकार से जनता का अनुरोध है कि शिक्षा को बर्बाद न किया जाए।

   विद्यार्थी को चाहिए कि OFFICE  से शिक्षकों को बुलाकर पढ़ें। यदि विद्यार्थी बुलाने जाएंगे तो अवश्य पढ़ाने आएंगे क्योंकि उन्हें विद्यार्थीयों से दुश्मनी नहीं है।


  यदि इस लेख में कोई त्रुटि रह गई हो तो उसके लिए हम क्षमा चाहते है। 
भारत की जय हो विश्व का कल्याण हो"If you like this post please share it"

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